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भारतीय सांख्यिकीय संस्थान
सूचना प्राप्ति के अधिकार अधिनियम (आरटीआइ) 2005 अधिनियम के सेक्सन 4(1)(बी) के तहत सूचना
भूमिका
सूचना प्राप्ति के अधिकार अधिनियम 2005 की विस्तृत जानकारी के लिए कृपया भारत सरकार का गजट देखें ।
अपील दायर करने की विधि :
संस्थान के बारे में आरटीआइ अधिनियम के तहत उपलब्ध कराई गई सूचना :
(i) इसकी संरचना, कार्यों एवं कर्त्तव्यों का ब्यौरा
(ii) इसके अधिकारियों एवं कर्मचारियों शक्तियॉं एवं कर्त्तव्यों ।
(iii) निर्णय लेने के लिए अपनायी गई प्रक्रियाएं पर्यवेक्षण एवं उत्तरदायित्व के चैनल सहित ।
(iv) कार्यों के निर्वाह्न के लिए इसके द्वारा बनाए गए तरीके ।
(v) इसके द्वारा रखे गए नियमों, कानूनों निर्देशों, संहिताओं एवं रिकार्ड या इसके नियंत्रण में या अपने कार्यों के निर्वाह्न के लिए अपने लोगों द्वारा प्रयुक्त ।
(vi) दस्तावेजों के श्रेणी, जो कि इसके द्वारा या इसके नियंत्रण में रखा गया है ।
(vii) किसी भी व्यवस्था का विवरण जो सम्पर्क करने से मिले, या अभ्यावेदन द्वारा आम जनता के सदस्यों इसके नीति निर्माण या उसके कार्यान्वयन के सम्बन्ध में ।
(viii) बोर्ड, परिषद, समिति एवं अन्य निकायों का कथन ।
(ix) इसके अधिकारियों एवं कर्मचारियों का डायरेक्टरी ।
(x) प्रत्येक अधिकारी एवं कर्मचारी द्वारा प्राप्त मासिक वेतन ।
(xi) इसके प्रत्येक एजेन्सी को आबंटित बजट ।
(xii) अर्थ सहायता कार्यक्रम के क्रियान्वयन के तरीके ।
(xiii) इसके द्वारा दिए गए प्राधिकरण या परमिट, छूट प्रापत करने वाले का ब्यौरा,
(xiv) सूचनाओं से सम्बन्धित विवरण, जो उपलब्ध है या इसके द्वारा रखा गया है इलोक्ट्रॉनिक प्रपत्र में दिखाया गया ।
(xv) नागरिकों के लिए उपलब्ध सुविधाएं जो पुस्तकालय अवधि में सूचना प्राप्त करने पर मिले का विवरण ।
(xvi) संस्थान के केन्द्रीय जन सूचना अधिकारी (सी पी ओई ओ और अपली प्राधिकारी एए) ।
1. संगठन के कार्यों एवं कर्त्तव्यों का विस्तृत विवरण :
1930 के आरंभ में, अंतरराष्ट्रीय परिदृश्य में एक नई दिशा के रूप में सैद्वांतिक एवं व्यावहारिक सांख्यिकी की आवश्यकता ने प्रो. पी.सी.महालनोबीस को इसे भारत में स्थापित करने के लिए प्रेरित किया । एक ऐसा संस्थान जो इस विषय की उच्च शिक्षा एवं इसके अन्वेषण के क्षेत्र में समर्पित हो, कहा गया ‘’सांख्यिकी’’ । इसके बाद उनकी निरंतर और अथक प्रयासों के रूप में, भारतीय सांख्यिकीय संस्थान (आई एस आई) की स्थापना दिसंबर 17, 1931 में हुई, जिसका मुख्यालय कोलकाता हुआ और बाद में इस संस्था का पंजीकरण 28 अप्रैल, 1932 को एक अलाभकारी शैक्षणिक संस्थाण के रूप में सोसाईटी पंजीकरण अधिनियम (1860 के XXI) के तहत किया गया । 1961 के पश्चिम बंगाल सोसाईटी पंजीकरण अधिनियम XXVI के लागू होने से जो 1964 में संशोधित हुआ, यह संस्थान बाद के अधिनियम के दायरे में आया । सांख्यिकी की नई विद्या दुनिया भर के वैज्ञानिक अनुसंधानों में एक नया उमंग लेकर आया और इसने अपने आप को अंत: विषय अनुसंधान, प्रयोग, माप और नमूनों के लिए एक ‘’प्रमुख प्रौद्योगिकी’’ के रुप में खुद को साबित कर दिया । सैद्धांतिक एवं व्यावहारिक सांख्यिकी में संस्थान द्वारा किए गए उत्कृष्ट योगदान को मान्यता देते हुए पंडित जवाहरलाल नेहरु, जो उस समय के प्रधानमंत्री थे ने संसद में एक बिल पास किया जिसमें आई एस आई को ‘’भारतीय सांख्यिकीय संस्थान अधिनियम 1959’’ के तहत एक ‘’राष्ट्रीय महत्व के संस्थान’ के रुप में मान्यता दी गई । इस अधिनियम ने संस्थान को सांख्यिकी में डिग्री और डिप्लोमा प्रदान करने का अधिकार दिया । बाद में 1995 में इस अधिनियम के संशोधन के बाद संस्थान को गणित, मात्रात्मक अर्थशास्त्र और कंप्यूटर विज्ञान में भी डिग्री देने का अधिकार मिल गया । अधिक जानकारी के लिए यहॉं दबाऍं ।
यह संस्थान सांख्यिकीय विज्ञान में अनुसंधान शिक्षण और प्रशिक्षण में हमेशा अग्रणी बना रहा, एवं विश्व में एक अनूठा स्थान बन गया है ।
प्रोफेसर सी.आर.राव, आर.सी.बोस और जे.बी.एस.हाल्डेन, सहित आई एस आई के वैज्ञानिकों के द्वारा कई कठिनाईयों को पार करने एवं उनके निरंतर योगदान ने दोनों सैद्धांतिक एवं व्यावहारिक गणित एवं प्राकृतिक विज्ञान के क्षेत्र मं संस्थान उँचाईयों पर ला दिया । सन 1933 से संस्थान निरंतर ‘’सांख्य’’ भारतीय सांख्यिकी जर्नल प्रकाशित करता आ रहा है, जो पाठकों द्वारा सराहा गया । जनवरी 2007 से, सांख्य अ (सैद्धांतिक सांख्यिकी और संभाव्यता) और सांख्य ब (प्रायोगिक सांख्यिकी) प्रकाशित किया जा रहा है । 1950 में अंतरराष्ट्रीय सांख्यिकीय संस्थान की स्थापना भारतीय सां.सं. अर्न्तराष्ट्रीय सांख्यिकीय शिक्षा केन्द्र (आईएसइसी) की संयुक्त रुप से कोलकाता में स्थापना एशिया एवं अफ्रिका के विकाशील देशों के सहभागियों को सैद्धांतिक एवं व्यावहारिक सांख्यिकी में प्रशिक्षण देने के लिए की गई थी । आईएसइसी यूनेस्को के तत्तवावधान में अर्न्तराष्ट्रीय सांख्यिकीय संस्थान एवं भारत सरकार दोनों के संयुक्त रुप से संस्थान द्वारा चलाया जाता है ।
संस्थान की मान्यता संसद के कानून द्वारा उच्चतर अध्ययकों के अन्य विविध शाखाओं में अध्ययन के प्रोत्साहन हेतु दिया गया । आन्तरिक शोध को आगे बढ़ाने के लिए कम्प्यूटर विज्ञान, सांख्यिकी गुण्ंता नियंत्रण अर्थशास्त्र, जैविक एवं सामाजिक विज्ञान, भौतिक एवं भू-विज्ञान के क्षेत्र में प्रगति के लिए द्रुतगामी कदम उठाए गये । कम्प्यूटर विज्ञान नए उभरते हुए एवं क्षेत्रीय/सीमांकित शोध क्षेत्रों सहित सॉफ्ट कम्प्यूटिंग, मशीन इनटेलीजेन्स, भी एल एस आई अभिकल्प, नैनो तकनीकी, कम्यूटर वीजन एवं पैटर्न मान्यता, बॉयो इनफोरमेटिक, इमेज प्रोसेसिंग, दस्तावेज विश्लेषण, मोबाईल कम्प्यूटिंग कलप/प्रतीक गणित एवं कूटलिपि शास्त्र, या (गुप्तभाषा) वैश्विक विकास को देखते हुए अभी उन विषयों पर खोज चल रही है । प्राकृतिक एवं सामाजिक विज्ञान के कई क्षेत्रों में प्रदर्शकीय/भव्य उपलब्धियॉं जैसे गोदाबरी घाटी से पुराकालीन जीवाश्म का उत्खनन, सांख्यिकीय आनुवंशिक, सूक्ष्म जीवविज्ञान, गतिविज्ञान सम्बन्धी सोशल नेटवर्क विश्लेषण जनसांख्यिकी एवं मनेमिति में विकास देखी गई है । यह, संस्थान के आदर्श ‘विविधता में के रूप में ग्रहण करने को प्रमाणित करता है । वर्तमान के शोधक्रियाकलापों की विस्तृत जानकारी के लिए यहॉं क्लिक करें
संस्थान की संरचना अनेक वैज्ञानिक एवं प्रशासनिक प्रभागों से बना है, जिसके बारे में विस्तृत यहॉं पाया जा सकता है । प्रभाग के सभी वैज्ञानिक कामगारों द्वारा वैज्ञानिक कामगारों का प्रभागीय समिति (डीसीएसडब्ल्यू) बनता है ।
संस्थान के संकाय सदस्यों की सूची यहॉं पाया जा सकता है
विभिन्न शैक्षणिक कार्यक्रमों, नामांकन प्रक्रियाऐं, उपाधियों की विस्तृत जानकारी, पाठ्यक्रम, इत्यादि के लिए यहॉं क्लिक करें ।
संस्थान के प्रमुख उद्देश्यों/लक्ष्यों को भारतीय सांख्यिकीय संस्थान के संगठन के ज्ञापन में अनुबद्ध किया गया है यथा :-
· सांख्यिकी के अध्ययन एवं ज्ञान के प्रचार-प्रसार को प्रोत्साहित करना, सांख्यिकीय सिद्धांत एवं तरीको और सामान्य तौर पर शोध एवं प्रोयोगिक उपयोगिताओं राष्ट्रीय विकास एवं समाजकल्याण के लिए योजनाओं की सदस्याओं के विशेष सन्दर्भ में इनका उपयोग करना ।
· प्राकृतिक एवं सामाजिक विज्ञानों के विभिन्न क्षेत्रों में, सांख्यिकी एवं उन सभी विज्ञानों के बीच पत्थर निकास की दृष्टि से शोध करें ।
· प्रबंधक एवं उत्पादन की गुणवत्त को बढ़ाने के लिए सूचना, खोज प्रोजेक्ट एवं प्रचालनीय शोध करने और इससे सम्बन्धित सूचना उपलब्ध कराने के लिए ; और
· उपरोक्त (i), (ii) एवं (iii) के उद्देश्य की पूर्ती में कोई अन्य सहायक गतिविज्ञान गतिविधियॉं का उपक्रम करना
उपरोक्त उद्देश्यों को भारत सरकार भा.सां.सं. के 1966, 1982 एवं 2001 के अधिनियम (1959) के द्वारा बनाये गए तीन भा.सां.सं. समीक्षा समिति के द्वारा पृष्ठांकित किया गया ।
संस्थान के कर्त्तव्यों एवं का निर्माण संस्थान के सं. के ज्ञापन के आलोक में हुआ । संस्थान का मुख्यालय 203, बी.टी.रोड, कोलकाता-700108 में अवस्थित है । इसके दो केन्द्र हैं एक दिल्ली में और दूसरा बेंगलौर में । संस्थान की एक शाखा गिरिडीह एवं एक स्टेशन तकदाह, दार्जिलिंग में भी है इसके अतिरिक्त इसका सांख्यिकी गुणवत्ता नियंत्रण एवं प्रचालकीय शोध नेटवर्क (एसक्यू सी एवं क्यू आर) एकक, कोलकाता, दिल्ली, बेंगलोर, बारोदा, मुम्बई, पूणे, चेन्नई, कोयम्बतूर एवं हैदराबाद में है ।
(ii) इसके अधिकारियों एवं कर्मचारीियों के अधिकार एवं कर्त्तव्य : संस्थान के अधिकारियों एवं कर्मचारियों के अधिकार एवं कर्त्तव्य स्थायी सेवा आदेशों (एसएसओ) एवं श्रेणी नियम पुस्तिका (सीएम) द्वारा संभालित होता ।
(iii) निर्णय लेने की प्रक्रिया, पर्यवेक्षण चेनल एवं जबाबदेही सहित में प्रक्रियाओं का पालन होता है ।
संस्थान का परिषद संगठन के ज्ञापन (एमओए) के दिशानिर्देश का पालन करते हुए बनता है । परिषद का अध्यक्ष, परिषद द्वारा उसके प्रथम बैठक में निर्वाचित होता है । जिसका संचालन संस्थान के अध्यक्ष या उनके/उनकी द्वारा नामित प्रतिनिधि द्वारा किया जाता है । संस्थान के निदेशक प्रधान कार्यपालक अधिकारी होते है, वे ही परिषद के निर्णय के कार्यान्वयन के लिए उत्तरदायी होते है, जो कि सरकार से प्राप्त वित्तीय अनुमोदन पर निर्भर करता है, निदेशक मुख्य कार्यकारी (प्रशा. एवं वित्त) (मु.का.(प्र व वि) जो प्रशासनिक एवं वित्तीय कार्य विविध क्षमताओं के वरिष्ठ अधिकारियों के टीम के साथ मिलकर किया जाता है । सभी शैक्षणिक कार्यों में निदेशक को अध्ययन क्षेत्र के डीन एवं शैक्षणिक परिषद द्वारा सहयोग किया जाता है । प्रबंधक शोध क्रियाकलापों एवं बजट योजनाओं के लिए, निदेशक को प्रभारी प्रोफेसर/विविध प्रभागों/एककों के प्रधान के द्वारा सहयोग किया जाता है । पुन: परिषद द्वारा बनाया गया सांविधिक समिति एवं निदेशक और/या परिषद द्वारा दिए गए सलाह द्वारा निर्मित अन्य समितियॉं, जो विविध प्रशासनिक वित्तीय एवं वैज्ञानिक कार्यों को पर्यवेक्षण, एवं कार्यान्वयन करता है ।
(iv) अपने कार्यों के निर्वाह्न के लिए इसके द्वारा बनाये गए मानक संगठन के ज्ञापन (एमओए) और एसएसओ द्वारा विहित प्रक्रिया के अनुसार,
(v) नियमों, विनियमों, निर्देशों, संहिताओं (मेनुअल) एवं रिकार्ड इसके द्वारा गए या उसके नियंत्रण के तहत
या इसके कर्मचारियों द्वारा अपने कार्यो के निर्वाह्न के लिए प्रयुक्त
भारत सरकार के विविध नियमों, संगठन के ज्ञापन (एमओए) स्टेंडिंग सर्विस ऑर्डर (एसएसओ) एवं श्रेणी नियम पुस्तिका (सीएम) कर्मचारियों द्वारा संस्थान के कार्यों के निर्वाह्न के लिए उपयोग किए जाते हैं ।
(vi) दस्तावेज के श्रेणियों का एक कथन जो कि इसके द्वारा रखा गया या इसके नियंत्रण में रखा गया है । वार्षिक रिपोर्ट से परीक्षित लेखा कथन के साथ, सामान्य विकास की बैठकों की प्रक्रियाऐं, परिषद, शैक्षणिक परिषद सम्बन्धित सभी सेवा एवं वित्त से सम्बन्धित रिकार्ड नाम से, अनुदान, वैयक्तिक फार्इल, वेतन, भत्ता, प्रतिपूर्ति, भविष्य निधि, टैक्स, चिकित्सा एवं सेवानिवृत्ति लभ, नामांकन से सम्बन्धित फाईल, परीक्षाऐं, शिक्षण, शैक्षणिक रिकार्ड, प्रशासन, निर्माण, खरीद, नियुक्ति, पदोन्नति, छुट्टी के रिकार्ड, एवं प्रत्येक प्रभाग से सम्बन्धित अन्य ।
(vii) किसी भी व्यवस्था के ब्यौरे जो कि सम्पर्क के लिए है, या प्रतिनिधित्व द्वारा अपनी नीति बनाने या उसका क्रियान्वयन करने के लिए आमलोगों के सदस्यों सामान्य निकाय (जीबी) सदस्यों को भी संस्थान के सदस्य के रूप में जाना जाता है, जो संगठन के ज्ञापन (एमओए) के तदनुसार परिषद के द्वारा चुके जाते हैं जो कि समाज के जाने माने व्यक्ति होते है और एक बेंड स्पेम्ट्रक एवं या रितों के लिए ज्यादातर संस्थान के बाहर से आते हैं । इसके नीति निर्माण के सम्बल में, ये बनाए गए हैं या इसके क्रियान्वयन के लिए, संस्थान के वार्षिक सामान्य बैठक (एजीएम) में चर्चा के दौरान इनका निर्माण हुआ है । सा.नि.(जीबी) की सदस्यता सं. के ज्ञापन के नियमों के अनुसार होता है । संस्थान के अध्यक्ष का य ना व सा.नि. के सदस्यों द्वारा होता है । संपऐक्षित लेखा कथन के साथ संस्थान का वार्षिक रिपोर्ट प्रत्येक वर्ष संसद में प्रस्तुत किए जाने से पहले सा.नि.(जीबी) द्वारा बिचार किया जाता है ओर उसका अनुमोदन भी सा.नि. की आवश्यकता होती है । किसी भी तरह का एमओए में प्रस्तावित परिवर्तन के लिए सा.नि. का अनुमोदन आवश्यक होता है, (वोट करने वाले सदस्यों का कम से कम नीन चौथाई का वोट) एमओए के बनाए गए दिशानिर्देश के अनुसार, कार्यान्वयन के लिए जीबी का अनुमोदन अवश्य है ।
(viii) बोर्ड, परिषद, समितियों एवं निकायों जिसे दो या दो से अधिक व्यक्तियों इसके एक अंग के रूप में उसकी सलाह के लिए और क्या उन समितियों, बोर्ड, परिषदों या अन्य निकायों की बैठक आमलोगों के लिए खुली रहती हैं या ऐसी बैठकों के कार्यवृत्त आमलोगों के लिए हैं । परिषद की संरचना, संस्थान के अध्यक्ष, सभापति एवं अन्य परिषद सदस्यों के सम्बन्ध में जानकारी के लिए कृपया यहॉं क्लिक करें । परिषद की बैठकों का कार्यवृत्त एवं ए जी एम की कार्यवाही प्रशासनिक प्रभाग के परिषद अनुभाग में उपलब्ध हैं । शक्षणिक परिषद, संयुक्त समितियॉं (जेसीसी) और एमओए के दिशानिर्देश के अनुसार बनी निम्नलिखित सांविधिक समितियॉं, जैसे नीतियोजना एवं मुल्यांकन समिति (पीपीइसी), वित्तीय समिति (एफसी), कार्य सलाहकार समिति (डब्ल्यू ए सी) तकनीकी सलाहकार समिति, (ओएसी), पीएचडी-डीएससी, समितियॉं विविध योजना प्रशासनिक शोध एवं शैक्षणिक क्रियाकलाप एवं कर्मचारियों के कल्याण । शैक्षणिक परिषद की कार्यवाही, नामांकन परिओऐं एवं परीक्षाफल से सम्बन्धित रिकार्ड डीन के कार्यालय में उपलब्ध हैं । संयुक्त परामर्शी समितियॉं, सभी श्रेणी के कर्मचारियों के कल्याण एवं कार्य सेवा शर्त्तें की समीक्षा भा.सां.सं. के प्रशासन एवं भा.सां.सं. के कर्मचारियों के संगठन के विचार विमर्श के माध्यम से करती है ।
(ix) इसके अधिकारियों एवं कर्मचारियों की एक निदेश पुस्तिका का संस्थान के अधिकारियों एवं कर्मचारियों की निदेश पुस्तिका का संगत पर उपलब्ध है ।
वैज्ञानिक एवं अवैज्ञानिक दोनों तरह के सभी कर्मचारियों एक पूर्ण सूची संस्थान के वैयक्तिक एकक में उपलब्ध है ।
(x) इसके प्रत्येक अधिकारियों एवं कर्मचारियों द्वारा प्राप्त मासिक पारिश्रमिक, इसके नियमावलियों के तहत उपलब्ध क्षतिपूर्ती प्रणाली के साथ ।
इसके प्रत्येक अधिकारियों एवं कर्मचारियों को दिए गए वेतन एवं भत्तों, भारत सरकार के नियमों के अनुसार देय क्षतिपूर्त्ती के साथ, जिसका विस्तृत ब्यौरा वेतन सारणी में दिखाया गया है ।
(xi) इसके प्रत्येक एजेन्सी को जो बगर आवंटित किया गया वही सभी योजनाओं, प्रस्तावित खर्च, और जो संवितरण हो चुका है उस पर रिपोर्ट सभी योजनाओं का विस्तृत विवरण इंगित करता है । वित्तीय वर्ष 2005-06 के लिए सरकार से संस्थान द्वारा जो अनुदान प्राप्त हुआ वह धनराशी 5720 लाख है । 2005-06 के ख्यान बजट के लिए 1365 लाख है और अधिक विस्तृत ब्यौरा संस्थान के वार्षिक रिपोर्ट में उपलब्ध है ।
(xii) अर्थ सहायता कार्यक्रम के कार्यान्वयन के लिए जिसमें आवंटित धनराशी ऐसे कार्यक्रमों से लाभ प्राप्त करने वालों विस्तृत विवरण के तरीके परिषद के अनुमोदन के साथ भारत सरकार के नियमानुसार ।
(xiii) इसे द्वारा दिया गया प्राधिकरण या परमिट, छूट प्राप्त करने वालों का विवरण । परिषद के अनुमोदन के साथ भारत सरकार के नियमानुसार
(xiv) सूचना से सम्बन्धित विवरण जो उपलब्ध है, या जो इसके द्वारा ररखा गया ऐलम्ट्रॉनिक प्रपत्र में कम कर दिया गया । आगे का विवरण संस्थान के वेबसाईट www.isical.ac.in उपलब्ध है ।
(xv) सूचना प्राप्त करने के लिए नागरिाकं को जो सुविधा उपलब्ध है, उसका ब्यौरा पुस्तकालय के कार्यावधि या अध्ययन कक्ष की कार्यावधि यदि जन उपयोग के लिए रखा गया है ।
संस्थान का सामान्य कार्यावधि सप्ताह के पॉंच दिनो तक 10.00 बजे पूर्वाह्न से 6.30 बजे अपराह्न तक (सोमवार से शुक्रवार) केवल राष्ट्रीय छुट्टी के दिनों को छोड़कर । पुस्तकालय अध्ययन कक्ष के साथ आम नागरिकों के उपयोग के लिए 10.00 बजे पूर्वाह्न से 8.00 बजे अपराह्न तक खुला रखा जाता है ।
(xvi) संस्थान के अपील प्राधिकारी एवं केन्द्रीय जन सूचना अधिकारी के नाम, पदनाम एवं अन्य ब्यौरे :
श्री एस.के.अय्यर
केन्द्रीय जन-सूचना अधिकारी (सीपीआइओ),
मुख्य कार्यपालक (प्रशासनिक एवं वित्तीय)
भारतीय सांख्यिकीय संस्थान,
203, बी.टी.रोड, कोलकाता-700108,
दूरभाष- +91-33-2577-6927
फैक्स +91-33-2577-6033
ईमेल ceaf@isical.ac.in
अपील प्राधिकारी (एए)
प्रो. बिमल कुमार राय,
निदेशक,
भारतीय सांख्यिकीय संस्थान,
203, बी.टी.रोड, कोलकाता-700108,
दूरभाष- +91-33-2575-3301/3302
ई-मेल director@isical.ac.in
सूचना प्राप्त करने के लिए आग्रह सेक्सन 6(1) के अनुसार 10/-रु. आवेदन शुल्क, एवं सूचना की प्रति प्रति 2/-रु. प्राप्त कागजत के लिए नकद देकर या फिर डिमाण्ड ड्राफ्ट या भारतीय सांख्यिकीय संस्थान के नाम बेंकर्स चेक जमा कर लिया जा सकता है । आवेदन का हार्ड कॉपी, आवेदक के हस्ताक्षर के साथ, निम्नलिखित प्रपत्र में नागरिकता की घोषणा, शुल्क, के साथ सी पी आइ ओ को भेजा जाना चाहिए ।
आर टी आइ-2005 के तहत सूचना प्राप्त करने के लिए आवेदन प्रपत्र :
1. नाम :
2. पत्राचार का पूरा पता :
3. दूरभाष संख्या :
4. फैक्स संख्या :
5. ई-मेल :
6. पेशा :
7. व्यक्ति का पहचान :
8. आवासीय स्थिति :
9. राष्ट्रीयता/नागरिकता :
10. आवश्यक/मॉंगी गई सूचना :
11. आवेदक का हस्ताक्षर :
स्थान एवं तिथि :